Last updated on July 8, 2024
।। मैं ज़रूर घर आऊंगा ।।
घन घोर अंधेरा छाया है, मौत ने तांडव मचाया है।
तेरी लाल हुई ये काया है, हमने भी शंख बजाया है।।१
डग मग डग मग पग डोल रहे, हमसे रुकने को बोल रहे।
घर में रूठे बच्चे रो रहे, माँ बीवी कुछ ये बोल रहे।।२
भले तिरंगा तुमको प्यारा, रिश्ता हमसे भी है तुम्हारा।
छोटा ये संसार हमारा, जिसका तुम्हीहो एक सहारा।।३
जंग में प्राण गंवाओगे, तुम शहीद कहलाओगे।
सरकार से तमगे पाओगे, पर हमें अकेला कर जाओगे।।४
मन मेरा कुछ काँप रहा, मैं भी थक के हाँफ रहा।
धूएं में मौत को झांक रहा, मन विवेक को नाप रहा।।५
जो जंग में प्राण गवाऊंगा, मैं शौर्य बहुत कमाऊंगा।
उनको अकेला कर जाऊंगा, मर कर भी सुकून ना पाऊंगा।।६
जो जंग से भाग जाऊंगा, खुद से आंख चुराउंगा।
सब का नाम डुबाउंगा, मैं जीते जी मार जाऊंगा।।७
हर वीर यहीं फस जाता है, कभी घर तो कभी देश रह जाता है।
दोराहे पर वो आता है, निर्णय कठिन हो जाता है।।८
जंग से भाग ना पाऊंगा, अपनो को छोड़ ना पाऊंगा।
लाखों से लड़ जाऊंगा, मैं एक दिन ज़रूर घर आऊंगा।।९
मैं आंख नही भरने दूंगा, मैं शीश नही झुकने दूंगा।
मैं हस्ती नही मिटने दूंगा, मैं देश नही झुकने दूंगा।।१०
Be First to Comment