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महामारी का साया: वायरस का प्रकोप और मानवता का संघर्ष (The Shadow of Pandemic: The Wrath of Virus and the Struggle of Humanity, Broken Relationships, Broken Dreams: A Poignant Depiction of Covid-19 )

Last updated on July 8, 2024

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।। अंधेरा ।।

एक अंधेरा छाया है वायरस का प्रकोप जो लाया है।

काल की भयंकर काया है जन मानस घिर आया है।।१

एक दूजे से मानस रूठ रहे लाखों के सपने टूट रहे।

अपनो के अपने छूट रहे भाई भाई को लूट रहे।।२

कोई काँप रहा कोई धाप रहा तेरी गोद में हो अपघात रहा।

कोई जाग रहा कोई भाग रहा तेरे आँचल पर लग दाग रहा।।३

तू रो रही तू खो रही पाप जगत के ढो रही।

तू टूट रही तू छूट रही विष के तू पी घूट रही।।४

एक रोज़ सवेरा आए गा आशा नई जगाए गा।

अंधकार मिट जाए गा जीवन नया सजाए गा।।५

Published inKavita (Poems)

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