Last updated on July 8, 2024
पराये घर से आई है, पराये घर को जाना है।
रिश्ता जो हमे मिलता, वही बस निभाना है।।
दुआ में मांगता न कोई, जन्म पे रोते है।
रीत ने जो बक्शी उन्हें नेमत, वही मुझको भी पाना है।।
हूँ मैं किस की है कौन मेरा, यही खुद समझना है।
कहते है जो हक़ मेरा, न जाने किस पे जताना है।।
सुना था राह में अक्सर हमराही मिलते है।
हम जिस पे चलते हैं हर रोज़ वो राह पराई है।।
परिचय है ना कोई मेरा न कोई निशानी है।
ख़्वाबों से कर सदा परहेज़, बड़ो की यही सिखानी है।
शब्द ना मिल सके जिसको, ये मेरी ही जुबानी है।
दबती रही है ये अक्सर लो सुनलो इसे यही मेरी कहानी है।।
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