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“आँसूओं में डूबा जीवन: मृत्यु की पीड़ा का सजीव चित्रण” (Life Drenched in Tears: A Vivid Depiction of the Pain during COVID – 19 pandemic)

Last updated on July 8, 2024

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।। मैंने देखा है ।।

मैंने चंद लम्हों में सब कुछ खोते देखा है,

आज मैंने पत्थर को भी रोते देखा है।

मैंने दुःखों में अपनो को छुपते देखा है,

इस मुसीबत में सुरमा भी झुकते देखा हैं।

मुझे दूर ना करो कह रोते लोगों को देखा हैं,

डरी सूखी आँखों के साथ शव रथ को भी देखा है।

मैंने साँसों को दुविधा बनते देखा है,

एक एक साँस को तरसते अपनो को देखा है।

मैंने अग्नि को तरसते शवों को देखा हैं,

तेरवी से पहले बुझे हुए दीयों को देखा है।

मैंने अग्नि देने वाले हाथों को पड़ोस की चिता पर देखा है,

हज़ारों अस्थियों को एक साथ ज़मीन में दफन देखा है।

मैंने चांदनी को गरम होते देखा है,

अरे मैंने तो रात में भी शवों को जलते देखा है।

ना जाने अब और क्या क्या देखना बाकी रहा है,

मैंने तो खुद को पल पल मरते देखा है।

Published inKavita (Poems)

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