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Lag Jaa Gale

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Lag Jaa Gale

थाम ले हमें कि सांसों का ये साथ हो न हो,

कह न पाए जो दिल, वो अब बात हो न हो।

छू ले नज़र से नज़रों की पहचान को,

कल कोई साया तेरे आसपास हो न हो…

लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो,

शायद फिर इस जनम में मुलाकात हो न हो…

बुला रहे थे मगर हम सदा सुन न सके,

दिल की हर एक पीड़ा को भी गुन न सके।

थामना था तुझे, पर ये हाथ रुक से गए,

बस एक झलक को चूके, और देख ना सके…

लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो,

शायद फिर इस जनम में मुलाकात हो न हो…

रह न जाए कहीं कोई अरमान अनकहा,

रुकता नहीं ये वक़्त, हमेशा जाए बहा।

जी लो कुछ पल साथ में, यादें संजो भी लो,

ना जाने फिर आँसू बहाने को कोई याद हो न हो…

लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो,

शायद फिर इस जनम में मुलाकात हो न हो…

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