Last updated on July 8, 2024
।। नमन ।। Naman
कहानियों में सुना था मैंने एक देश जो बसा यहाँ,
सोने की चिड़ीया उड़ती थी हाथी घोड़े यहाँ वहाँ।
ताज हिमालय बना हुआ अंबुधि आसान है यहाँ,
वामांग में जिनके ब्रह्मपुत्र थार विपरीत बैठा वहाँ।।१
सरस्वती की कोख से जन्मा गंगा यमुना पूज्य यहाँ,
सिंधु में जीवन पनपा नर्मदा लिखती भाग्य वहाँ।
कृष्णा और गोदावरी में बस्ती है संस्कृति यहाँ,
ब्रह्मा की पुत्री देती चरणामृत सब को वहाँ।। २
देवों की भूमि है ये विज्ञान ने लिया जन्म यहाँ,
अक्षर सीखे भाषा सीखी मनुष्य बना विद्वान वहाँ।
जीवन की परिभाषा लिख दी मृत्यु का भी ज्ञान यहाँ
आत्म के स्वरूप को जान सृष्टि सृजन की बात वहाँ।।३
नारी को शक्ति माना और राजा को भगवान यहाँ,
द्वार से न कोई वापस जाता मिलता इच्छित वरदान वहाँ।
पशु भी पूजे जाते थे हर जीव को मिलता मान यहाँ,
मात पिता कि सेवा से ही मिल जाता था स्वर्ग वहाँ।।४
राम ने दिखाई मर्यादा और कृष्ण ने सिखाया कर्म यहाँ,
माटी कुछ ऐसी है इसकी दुर्जन भी थे पंडित वहाँ।
गौतम ने मिलाया आत्म से और महावीर ने सिखाया प्यार यहाँ,
ब्राह्मण का परशु भी चला और क्षत्रिय ने दिया गायत्री वहाँ।।५
ज्ञान भी था विज्ञान भी था, था पुरखों का सम्मान यहाँ,
रस संगीत श्रृंगार भी थे और औषधि भी जन्मी थी यहाँ।
घात हुआ प्रतिघात हुआ लोभ ने किया अपमानित यहाँ,
असत्य का प्रसार हुआ और गौरव हुआ अस्त यहाँ।।६
कहानियां सब भूल गयी चिड़या ना उड़ती अब यहाँ,
ताज बना पादुका किसीकी अब गंगा भी अपमानित यहाँ।
नारी का सम्मान नही अब जाती पे निर्मित संसार यहाँ,
वर्तमान संकट में बसता भविष्य भी दिखता धुन्दला यहाँ।।७
अंधकार के परे प्रकाश है होता सीखा हमने सदा यहाँ,
कर्म तिलक करेगा एक दिन मर्यादा फिर चमकेगी यहाँ।
गौरव और सम्मान दिखे फिर होगा जीवन सम्पूर्ण यहाँ,
नमन है इस माटी को धन्य हुआ जो जन्मा यहाँ।।८
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