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Category: Kavita (Poems)

बरगद की छाया: गाँव का ह्रदय, जीवन का दर्शन (The Shade of the Banyan Tree: The Heart of the Village, The Clash of Progress and Tradition, A Philosophy of Life)

।।बरगद की छाओं।। एक पुराने गाँव में, ऊचें बरगद की छाओं में, रोज़ धूप छना करती है, चिड़िया वहीं रहा करती है। जब भी पारा चढ़ जाता है, मास्टर वहीं…

सीता का सवाल: प्रेम या कर्तव्य? प्रेम, त्याग, शक्ति का संगम: सीता (The Limits of Faith, Trust and Duty, A Wife’s Devotion, A Woman’s Strength, Love, Loss, and the Power of a Queen)

सिया के राम बाग में मिले मुझे, मुलाकात अब भी ध्यान है। चाह मन में है जगी, भाव दोनो के समान है।।१ शब्द में कहा नही, प्रेम इसका नाम है।…

स्त्री अस्मिता का संघर्ष (The Irony of a Woman’s Life)

पराये घर से आई है, पराये घर को जाना है। रिश्ता जो हमे मिलता, वही बस निभाना है।। दुआ में मांगता न कोई, जन्म पे रोते है। रीत ने जो…

महामारी का साया: वायरस का प्रकोप और मानवता का संघर्ष (The Shadow of Pandemic: The Wrath of Virus and the Struggle of Humanity, Broken Relationships, Broken Dreams: A Poignant Depiction of Covid-19 )

।। अंधेरा ।। एक अंधेरा छाया है वायरस का प्रकोप जो लाया है। काल की भयंकर काया है जन मानस घिर आया है।।१ एक दूजे से मानस रूठ रहे लाखों…

कर्तव्य का संघर्ष: घर की पुकार और देश का प्यार (The Conflict of Duty: Home’s Call and Love for Country)

।। मैं ज़रूर घर आऊंगा ।। घन घोर अंधेरा छाया है, मौत ने तांडव मचाया है। तेरी लाल हुई ये काया है, हमने भी शंख बजाया है।।१ डग मग डग…

“आँसूओं में डूबा जीवन: मृत्यु की पीड़ा का सजीव चित्रण” (Life Drenched in Tears: A Vivid Depiction of the Pain during COVID – 19 pandemic)

।। मैंने देखा है ।। मैंने चंद लम्हों में सब कुछ खोते देखा है, आज मैंने पत्थर को भी रोते देखा है। मैंने दुःखों में अपनो को छुपते देखा है,…

“भारत: स्वर्णिम युग से वर्तमान तक” (India: From Golden Age to Present: A Journey Through History and Culture ।। A Legacy from the Golden Age, Shaping the Present)

।। नमन ।। Naman कहानियों में सुना था मैंने एक देश जो बसा यहाँ,सोने की चिड़ीया उड़ती थी हाथी घोड़े यहाँ वहाँ।ताज हिमालय बना हुआ अंबुधि आसान है यहाँ,वामांग में…